जब दिमाग बच्चा था और दिल बड़ा
मन वहाँ लौटना चाहता है ,
जहाँ दिमाग काम नही करता था,
दिल की सुनकर इधर उधर भागते रहते थे,
कुछ कहते थे हम भी नही और दूसरे भी नही समझते थे,
अक्सर खतरे के बारे में भी पता ही नही होता था की क्या होता है,
धर्म, जाति, लिंग, रंग, प्रेम,सपने, पड़ोसी, अपने सब ही तो एक ही थे हमारे लिए ,
सोचता हूँ कितना अच्छा था सब कुछ जब हमें इस दुनिया की सच्चाईयाँ नही पता थी ...........
संदीप 'विहान'
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