Posts

Showing posts from February, 2016

लिख रहा हूँ

Image
मुझे पता नही छूटना क्या होता है। बहुत कुछ पीछे छूट गया। बहुत पीछे छोड़ के आगे बढ़ गए। लेकिन मैं वही रुका हूँ।सच कह रहा हूँ मुझे नही पता।शायद उन् सबको पता है जो मुझे एक अवसाद की तरह छोड़ चुके है।जहा मैं रुका था, वहाँ से कई सो मील भाग चूका हूँ। लेकिन मैं मैदान और पहाड़ के के बीच की ये दुरी पाट कर किसी पहाड़ी पर अब तक नही पहुँचा हूँ। यहाँ इति सिद्धम की लड़ाई है। यहाँ मेरी इस आँख ने दुरी आँख से आँख चुराई है। लोग समझदार हो गए है, नही लोग सचेत हो गए है। पशोपेश में मैं जाने क्यों संजीदगी की अपेक्षा करता हूँ। शिक्षा ने सचेतों को दिमागी हत्यारें बनाने का काम किया है। अम्मा यार झूठ तो मत बोलो ! सीधा कहो ! कि ये वाली चटनी सिलबट्टे की नहीं है, ये तो मिक्सी ग्राइंडर में पीसी है। तुम इसकी महीनता का झाँसा देकर खुश हो। और मैं तुम्हारे इस झाँसे में आकर खुश हूँ। मैं खुश हूँ तुम्हारी खुशी देखकर ।  जैसे ही मैं इस सचेतता की बात कर रहा हूँ  तो ये भी कह रहा हूँ कि इतिहास तुम लिखोगे। मैंने एक समय तय किया था की मैं मौन रहूँगा उसके बाद मैंने ये नही सोचा की कोई क्या सोच रहे हो। मेरी प्रश्नावली नही बन पा रही