Posts

Showing posts from November, 2016

जुगनुओं के सवाल

Image
हम जो आज वर्तमान में खड़े होकर कही भविष्य में देखते है। ये खिड़की बहुत पसन्द है। आज सामने वही सवाल था, जिसका जवाब, सर से अभी तक नही मिला। मेरे सामने वो सवाल आया तो मैंने क्या किया ? कुछ नहीं किया। उलटे मैंने उनके सवाल को अपने कैनवास पर उतार लिया और कहा, देखो ये दुनिया है। हमें इस दुनिया में आशा बनाये रखनी होगी। वैसे मैं छुपना नहीं चाहता। लेकिन सामने आने पर मार दिए जाने का खतरा है। लेकिन इस बदलती दुनिया में हम देखेगे वो दिन के जिस का वादा है।  इस पंक्ति से मैं वादाखिलाफी नहीं करूँगा। बहुत खुश हूँ मैं। इस दौर में जब एक साथ इतनी घटनाएं घट रही है तो मुझे बैचैनी तो है। क्योंकि अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने होंगे। जब मैं इस वक़्त खुद से बहुत नाराज़ हूँ तो मेरी जुगुनुए ही है जो सवाल पुछती रहती हैं। इन जुगनुओं के सवाल हैं।  (पोस्ट अधूरी है। सवाल की तरह ही कभी इसके और हिस्से किश्तों में आते रहेंगे।)