बोल
मैं होता रहूँगा अभिव्यक्त तब भी जब मेरे लब सील दिए जायेगे तुम नकारते रहो मैं पुकारता रहूँगा तुम्हारे गुलाम ख्यालों पर मैं आजादी सा हर बार उग जाउगा विहान
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ