ठंडी रात के कुछ ख्याल
ठंड अपने में सिमटने का सबसे अच्छा मौका है। घड़ी की टिक टिक मेरे रजाई में होने की बेपरवाही याद दिलाती है।अब ऐसी सर्दी में लगता भी हैं की चाँद धुंध के कणों से उतरता हुआ आएगा।मुझे बहुत सारी बातें करनी है किसी अपने से। चाँद से ही बातें करने के बारे में सोच लेता हूँ। चाँद मेरे लिए कोई प्रेमिका टाइप साहित्यिक सिंबल नही है। बस नही होने में कोई अपना-सा है। चाँद थोड़ा दूर का ख्याल होने के कारण खुद की साँसोँ से बात कर लेना भी एक और तरीका है अपने को याद करने का। शाम के सात बजे का टाइम सबसे मुश्किल होता है। इस टाइम में मैं ओल्ड मोंक की बोतल में अपनी रातों की वजह ढूंढने के लिए पीना चाहता हूँ। लेकिन क्या करू शराब प्रेमिका सी बुरी आदत है जो बुरे वक़्त में छोड़ देगी।ये ठंड ख्यालों को सुस्त करने का वक़्त नही हैं मेरे लिए, ये तो दुरस्त करने का वक़्त हैं ख्यालों को। ठंड में इतनी शांति होती है की कोई ख्याल चुपके से दिमाग से निकलने की जगह लड़ता रहता मुझसे। वैसे ठंड ने सही टाइम पर दस्तक दी है क्योंकि कुछ हैं जो छूटा जा रहा है। और इस बार मैंने भी छूटने वाले डर को जगह देनी बंद कर दी हैं। फिर से अपने ख्यालों का ताना बाना बुनने की सोच रहा हूँ। मेरे अल्फ़ाज़ बस सही शक्ल अख्तियार कर ले क्युकिँ उन्हें भी लापरवाही की आदत हो गई है। वैसे मुझे नही पता किस की किस ख्याल तक पहुँचना चाहता हूँ। लेकिन मेरा यूँ ही खुद में रुक सा जाना ठीक नही लगता। सबसे ठीक लगता हैं अपने ख्याल को बहते रहने देना। इस बार की ठंडी रातें मेरे ख्यालों को सूरतें देगी ताकि मैं उनसे लगातार बाते कर सकूँ। शायद मैं अपने गुनाहों को उन सूरतों के सामने तस्सली से रखूँ और समझा सकूँ वो सारी बातें जो नही समझा पाया किसी को।मुझमें से कुछ शख्स ज़िंदगी की किस्सागोई में से अपने मजे का सब ढूंढ कर ले जा चुके है। लेकिन इसके बावजूद मुझमे मैं कही बचा हुआ हूँ। मैं चाहता हूँ किसी ठण्ड से भरी रात में चाँदनी रात में किसी झील के पानी में उतर जाऊ और अपने में बचे अपने को और उस ख्याल को जो कोई समझ नही पाया उसको सुन्न कर दू।
पता नहीं यह क्या है। शायद दिल की परतों से निकली और अंदर ही उपजी कोई टीस। बेहतरीन लिखा है। जिसके लिए हम अंदर ही अंदर घुट रहे हैं, शायद इसके बाद ही वह कुछ बनकर निकलेगा।
ReplyDeleteलिखा करो। लिखने से बात बनेगी। कम से कम हम ख़ुद को सुनना शुरू करेंगे।
Deleteबिलकुल आप हमेशा सबल देते रहेंगे तो विचार यूँ ही ब्लॉग का रूप लेते रहेंगे