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Showing posts from November, 2017

होना

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होने की व्याख्या को जब करने की कोशिश कर रहा हूँ तो यह मुझे रोमांचित कर देता है. यह उन दिनों का होना भी है जब भरी गर्मी में अमलतास के फूल पिला रंग बिखेरे हुए होते है. यह उन दिनों का भी होना है जब दूब पर ओस की बूँद शिद्दत से लटकी हुई है. यह उन दिनों का होना भी है जब किसी सर्दी में जमी किसी नदी में पानी बह रहा होता है. यह उन दिनों का होना भी है जब मैं पहाड़ के उपर पहुँच कर हवा को अपने अंदर भर जाने की हद तक महसूस करता हूँ. वैसे दिल्ली में इस समय होना किसी गैस चैम्बर में होने से कम नहीं है. जिसमें मार्किट ने दिल्ली वालों का बता दिया है कि चिंता की कोई बात नहीं है हम आप को बचा ले जाएगे.  लेकिन फिर होने को महसूस किस तरह हो ही जाता है. यह होना मन का होना है. जिसे मैं  सूरते-बेहाल अपनी लूना के साथ महसूस करता हूँ. विश्वविद्यालय से निकलते हुए बंदरों के झुंड के पास उनको चिड़ा कर निकलते हुए.  सिविल लाइंस की तरफ जाते हुए उस रास्ते को महसूस करता हुआ कही एक प्याली चाय के साथ ढेर सारी बातों में मैं होता हूँ. थोडा आगे बढ़ते हुए फ्लाईओवर पर चढ़ते हुए दूसरे आसमान में छलांग लगाते हुए मैं होता हूँ. लालकि

एक क्षण एक जिंदगी

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कोई खगोलीय घटना नहीं हुई है।  इसलिए अंदर का टूटना मुझ तक ही सीमित होगा। अगर किस वस्तु  के परिप्रेक्ष्य में यह समझेगे तो यह एक दिन में निर्मित घटना नहीं है। यह अपरदन या अपक्षय की तरह लंबे समय में घट रही होती है।  जिसे भूगोल के किसी अध्याय में दो पृष्ठ में समेट कर समझा दिया गया है। पृथ्वी पर मेरा होना इतने बिन्दुओं के सापेक्ष बना हुआ है। जब मेरा होना किसी बिंदु पर रुका होता है तो उस से विचलन किस तरह होगा ? यह विचलन मेरे होने को कहा स्थिर करेगा, कहना मुश्किल है । मैं कई जगह होने को स्थित करके एक बिंदु पर अपने को देख रहा हूँ। मेरी सामाजिक और राजनितिक निर्मिति को लोग चुनौती देते रहते है।  मैं स्थानीय बिंदु पर खड़ा होकर एक बेहतर दुनिया होने की कल्पना में कई सिरे तलाश रहा हूँ।  ये जद्दोजहद शायद उस वक्त में दुगनी हो गयी है जब राज्य ने सुनियोजित तरह से सिर्फ कुछ लोगों के लिए दुनिया बेहतर बनाने को चुना है।  ऊपर बहुत कुछ  भाव वाचक में कहा गया है। एक कहानी  सुनाता हूँ। एक लड़का था।  एक नहीं दो लड़के थे. वो दोनों स्कूल में साथ साथ पढ़ते थे।  बस सामान्य सी ज़िंदगी थी उनकी।  लेकिन यही सामान्य