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शहर का दिया

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हमनें शहरों को ट्यूबलाइट से भर लिया वक़्त ने शहर से धीरे धीरेआसमां के तारे खोये, शहरों ने हमारे दिन रात हम लोगों से छीने तब से नींद में मिलते है एक-दूसरे से लोग,     शहर ने बिना धूल वाले कंक्रीट के रास्तें दिए शायद ही हमें कोई पगडण्डी मिली हो शहर में, शहरों ने जगह दी रहने को, हमें लोग दिए सुना है गाँव में बहुतेरे घर खाली पड़े है अब, शहरों ने हमें तरीके दिए कई जीने के फिर हम भूलने लग गए एक दूसरे को, शहर ने हमें दुनिया में काम करना सिखाया इंसानियत को भूलकर हमनें ये काम सीख लिये कभी शहर मेरे लिए सपना सरीखे थे फिर भी गाँव ही लौट जाना चाहता हूँ,