लालनाक इशक



                                   

  वो लड़का जिसने ऑप्शन में ऐसा विषय लिया था जिसकी क्लासेज दोपहर तक निपट जाया करती थी। उसके बाद दोस्तों के साथ कैंटीन में दुनियाभर की बातों पर  बातें करता रहता था।
कुछ खास श्यामों में खास क्लास के सामने भटकता रहता था. इस बात की खबर सिर्फ उसे ही थी. जैसे ही वो बाहर निकलती वो एकटक देखता और वापिस लौट जाता। लेकिन आज जब उसने लड़की को देखा तो  सर्द शाम में लेट तक चलने वाली क्लास से निकलने के बाद वो अपने फैशन के चलते ठिठुर रही थी ।वो क्लास में सबसे बतियाता था सिर्फ उसी से नही। उस दिन वो लड़की के पास जाकर बोला लगता हैं  'क्लास देर तक चली है।'  हाँ लड़की ने जवाब दिया।इतना कह वो चल दी। अब लड़के की नजर जब लड़की की नाक पर गयी तो पूछ ही लिया। ''नाक को क्या लाल रंग से क्यूँ  रंग लिया है''। लड़की ने जुखाम भरी नाक से साँस खीचते हुए तंज कस्ते हुए कहा की 'वो ना लाल मेरा फेवरेट कलर है।' इसके बाद वो लड़का चुप था। बस इतना ही कहा की चलो स्टैंड तक छोड़ देता हूँ। पहली बार की मुलाकात में वो पूरे रस्तें में इधर उधर की बाते कहे जा रहा था और वो लड़की उसकी बात पर टांग खिचती। इस तरह उसने स्टैंड पर उसे छोड़ दिया। 

आज उसे एक नए तरह के इश्क़यी रंग से मुहबत हो गयी वो रंग था लालनाक रंग…… 


इश्क गलियारा में ऐसी कुछ बिल्कुकूल लघु कहानियों से आपका दीदार करवाता रहूँगा। इस उम्मीद में ये कहानिया आपके आसपास सिमटी हुई आपको महसूस होगी। 

संदीप 'विहान '

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