नदी का कल - कल बहना
नदी का पहाड़ों से उतरकर मैदान से होते हुए समंदर तक पहुँचना,
नदी का अपना एक भूगोल है
लेकिन नदी के इसी भूगोल को इंसान इतिहास बना देना चाहता है।
नदी टेढ़े मेढ़े रास्तों से चलती है लेकर अपने भूगोल को,
इसी भूगोल को इरादतन मनुष्य लगातार बदल रहा है।
उसके भूगोल को बदलने के लिए बाँध बनाया।
ये तो है कि उस पानी को खेतों तक पहुँचाया,
ये तो है कि उससे बिजली बना घर ले आया,
हम सब खुश तो होते है मनुष्य की इस विराटता को देखकर
लेकिन ये उस नदी के खिलाफ साजिश थी।
यह सब मनुष्य ने अपनी सभ्यता की/के उच्चता/ के विकास के लिए किया।
यह सब मनुष्य ने अपने चरमसुख के लिए किया।
उसके लिए सदियों से नदी सिर्फ अपने उपभोग का मामला भर है,
लेकिन मनुष्य ने कभी नही सोचा उस नदी की सभ्यता के बारे में जिसे वो साथ - साथ लेकर बहती थी।
उसने सिर्फ उस नदी का उपभोग किया।
ध्यान में रखने वाली बात यह है कि नदी स्त्रीलिंग है,
और उसका एक भूगोल है,
और मनुष्य आदतन अपने सुख के लिए इतिहास बना देगा।
और सिर्फ वो जिनमें बची होगी मनुष्यता
अपने बच्चों को सुनाया करेगें नदी की कहानियाँ।
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