एक क्षण एक जिंदगी

पृथ्वी पर मेरा होना इतने बिन्दुओं के सापेक्ष बना हुआ है। जब मेरा होना किसी बिंदु पर रुका होता है तो उस से विचलन किस तरह होगा ? यह विचलन मेरे होने को कहा स्थिर करेगा, कहना मुश्किल है । मैं कई जगह होने को स्थित करके एक बिंदु पर अपने को देख रहा हूँ।
मेरी सामाजिक और राजनितिक निर्मिति को लोग चुनौती देते रहते है। मैं स्थानीय बिंदु पर खड़ा होकर एक बेहतर दुनिया होने की कल्पना में कई सिरे तलाश रहा हूँ। ये जद्दोजहद शायद उस वक्त में दुगनी हो गयी है जब राज्य ने सुनियोजित तरह से सिर्फ कुछ लोगों के लिए दुनिया बेहतर बनाने को चुना है।
ऊपर बहुत कुछ भाव वाचक में कहा गया है। एक कहानी सुनाता हूँ। एक लड़का था। एक नहीं दो लड़के थे. वो दोनों स्कूल में साथ साथ पढ़ते थे। बस सामान्य सी ज़िंदगी थी उनकी। लेकिन यही सामान्य सी ज़िंदगी उनके लिए अदभुत थी। जिसको जीते हुए वो अपने आगे वाली दुनिया की बातें भी कर लेते थे। ये आगे की बातें रहस्य की तरह उन दोनों के साथ ही रहती थी। उस एक दुनिया में जो मानकों के सायें में बूरी तरह घिरी हुई थी, उनको रास नही आती थी। फिर भी आप के बचने के साधन एक आम परिवार में कम ही होते है। आपके होने को परिवार और समाज लिख चूका होता है. उसके इतर कुछ भी करना बिगड़ा हुआ माना जाता है। इन दोनों दोस्तों में से एक दोस्त जो ज़िंदगी को जी भर के जी रहा था वो एक जगह ठहरने के लिए पानी में पैर डाल कर बैठ जाता है। दूसरा ज़िंदगी के भूगोल में अपने में स्थित करने में आगे बढ़ जाता है.
अब यह जो दूसरा है यह बहुत ही सामान्य है डर से भरा हुआ। इस दुनिया में डर एक खराब चीज़ है लेकिन उसका मानस पूरी तरह से डर का बना हुआ है। ये जो डर है उसका समय में स्थित होना है। इस स्थित होने को वो झकझोरता रहता है। वैसे इससे हासिल कुछ नहीं होगा। हासिल न होने के यथार्थ की व्याख्या जरुरी है। अपने जीवन काल के बिंदु से जब पृथ्वी की आयु में वो अपने होने की गणना करता है। इसमें मानव का पृथ्वी की कूल जमा आयु में मानव का जीवन मात्र छह सेकंड का है। अब इस छह सेकंड में उस दूसरे लड़के की ज़िंदगी के समय की गणना को किसी गणितज्ञ के द्वारा ही निकाला जा सकता है। अब इन जीते हुए क्षणों में उसके जीवन की कल्पना में वो नहीं है। तो वो कहा है ? वो उस सेकंड के अत्यंत माइक्रो हिस्से में बीत रहा क्षण है। जिसके बीतने से क्या कोई फर्क पड़ेगा ? नहीं बिलकुल नहीं। और ये जिस क्षण की व्याख्या पृथ्वी की आयु के संदर्भ में है ये उस लड़के का पूरा जीवन है।
अब इन सबके बीच में उसका कोई सपना हो सकता है। ऐसा मैं सोच रहा हूँ। आप भी सोचना।
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