संजीदा से ख्वाब
पहाड़ की तलहटी ,
नदी को सुबह जाकर बहते सुनना ,
रात को चाँदनी रात में बर्फ वाला पहाड़ निहारना,
पहाड़ की गुफा के किनारे लगा फ़ूस का बिस्तर ,
नदी किनारे सुबह-सुबह पानी में पैर डालकर
दुष्यंत की कविताएँ पढ़ू .........
और हाँ रात में किसी बर्फ पहाड़ी रास्ते में बिस्तर बिछाकर
ये गुनगुनाना.
रास्तों में एक भी बरगद नहीं।
संदीप 'विहान'
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