सपने और उम्मीदें


आम दिनों की तरह सोमवार मेरे लिए  जद्दोजहद से शुरू होता है. बहुत तेज़ नींद आई हुई थी लेकिन सुबह उठ गया एक तो माँ और पिताजी आये हुए थे. दूसरा कक्षा के लिए पढना था. खाना खाने के बाद निकला। कक्षा में पंहुचा। पढाई शुरू की।  
मैं अपनी कक्षा को प्रश्नों में ढूँढता हूँ. उसमे कई बार गडबडा भी जाता हूँ.पीपीटी होने के बाद भी में संवाद पसंद करता हूँ. मेरे लिए फरवरी का आख़िरी हफ्ता अजीब सा ही होता है. इस बीच दिमाग में कई कामों की तैयारी चल रही थी. कोरिडोर से स्टाफ रूम में जा रहा था तो मेरी कुछ छात्राओं ने रोककर पूछा की क्या मुझे रामजस वाली घटना का पता है. मैंने कहा हाँ. तो उन्होंने अपना पक्ष बताना शुरू किया वो रामजस वाली घटना से नाराज थी. उन्होंने बताया भी की वो भी रामजस में हुई छात्र संगठन की हरकत से नाराज़ है. इसके साथ ही उन्होंने बताया की विरोध प्रदर्शन भयावह था. वहां abvp के साथ आये  लड़के गलियाँ दे रहे थे  और गलत गलत इशारे भी कर रहे थे. लउन्होंने कहा की वो उनकी हरकतों से दरी नहीं बल्कि आक्रोशित हुई. उनके बहुत से सवाल और बातें थी. मैं पिछले एक साल से सोच रहा था की रोहित वेमुला और जेएनयु की घटना पर अपनी छात्राओं का विरोध नहीं दिखा लेकिन आज लगा की घटनाओं को सब समझ रहे है. एकतरफा मीडिया की रिपोर्टिंग को भी वो समझ रही है. 

 मैं अपने शिक्षक जीवन में किसी विचारधारा के पक्ष में अपनी छात्राओं को को नहीं कहता। मेरा मानना है वो बेहतर चुनेगी। उनकी कल्पनाओं का भारत वो समझ रही होगी. लेकिन एक लड़के की अपेक्षा उनके सामने परिवार के दबाव ज़्यादा है लेकिन फिर भी वो चीजों से लड़ झगड़  रही है. घर में माँ बाप कहते है की राजनीति से दूर रहो।  लेकिन वो राजनीति  में हिस्सा ले रही है. विविधताओं के भारत को शायद वो समझ रही है. मुझे लगता था ना की व्यवस्था की क्रूरता से ऊब कर  हम अपना देश हार बैठेगें  लेकिन मैं गलत हूँ।  सही के पक्ष में खड़ें होने वाले आते रहते है. 
लेकिन शिक्षक होने के नाते डर भी लगता है उनको कोई नुकसान न पहुचें। और ये मैं सब इस लिए नहीं लिख रहा की उनकी समझ मेरी समझ से मेल खा रही है. ये इसलिए लिख रहा हूँ की विचारों से लैस सहमत और असहमत  बातों पर चर्चा होनी चाहिए. लेकिन हिंसा कतई नहीं। 

 आखरी पंक्ति में ये ही लिखूंगा ' लड़कियों कमाल हो तुम जहाँ जैसे भी अन्याय और असहमति हो संवाद और लोकतंत्र के लिए डटे रहना।  ये कविता  उम्मीदों और सपनों के लिए - पुलिस की लाठी सबसे खतरनाक नहीं होती। 


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