लिख रहा हूँ

मुझे पता नही छूटना क्या होता है। बहुत कुछ पीछे छूट गया। बहुत पीछे छोड़ के आगे बढ़ गए। लेकिन मैं वही रुका हूँ।सच कह रहा हूँ मुझे नही पता।शायद उन् सबको पता है जो मुझे एक अवसाद की तरह छोड़ चुके है।जहा मैं रुका था, वहाँ से कई सो मील भाग चूका हूँ। लेकिन मैं मैदान और पहाड़ के के बीच की ये दुरी पाट कर किसी पहाड़ी पर अब तक नही पहुँचा हूँ। यहाँ इति सिद्धम की लड़ाई है। यहाँ मेरी इस आँख ने दुरी आँख से आँख चुराई है। लोग समझदार हो गए है, नही लोग सचेत हो गए है। पशोपेश में मैं जाने क्यों संजीदगी की अपेक्षा करता हूँ। शिक्षा ने सचेतों को दिमागी हत्यारें बनाने का काम किया है। अम्मा यार झूठ तो मत बोलो ! सीधा कहो ! कि ये वाली चटनी सिलबट्टे की नहीं है, ये तो मिक्सी ग्राइंडर में पीसी है। तुम इसकी महीनता का झाँसा देकर खुश हो। और मैं तुम्हारे इस झाँसे में आकर खुश हूँ। मैं खुश हूँ तुम्हारी खुशी देखकर ।
 जैसे ही मैं इस सचेतता की बात कर रहा हूँ  तो ये भी कह रहा हूँ कि इतिहास तुम लिखोगे। मैंने एक समय तय किया था की मैं मौन रहूँगा उसके बाद मैंने ये नही सोचा की कोई क्या सोच रहे हो। मेरी प्रश्नावली नही बन पा रही है शोध मेरा प्रिय काम था। समरजीत तुम तो जानते हो हमनें कैसे सुबह साढ़े पाँच उठकर फील्ड वर्क किया। हमने एथिक्स अपनायें और उस लेख के पांच ड्राफ्ट भी लिखे। मुझे दुरी के भी ने काम नही करने दिया। कही काम पूरा हो जाए और सर समय देना बंद कर दे।मैं रोज़ प्रश्नावली देखता हूँ पर मैं पूरा नही कर पा रहा। मेरी शोध यात्रा में कुछ लोग छूट गए जिन्हें बस मैं मिस ही करता रहा। शुक्र है प्रकृति का कि  यात्रा में कुछ नए ऊर्जावान मित्र मिलें।वरना सब कुछ छूट ही रहा था 
 सबसे अच्छी बात है मेरी कक्षा जो मुझे ऊर्जावान बनाए रखती है। मुझे पता है कि मैं एक बोर शिक्षक हूँ। पढ़ाना नही जानता। लेकिन मैं अपनी कोशिश कर सकता हूँ। इस बार असाइनमेंट में जिसने भी मेहनत की है वो अतुलनीय थी और मेरे आसूँ मेरी खुशी बने। एक शिक्षक होना बहुत मुश्किल है। और हाँ मुझे वो पंक्ति याद है आशाए तोड़ती है। इसलिए बस मिलकर काम करो।
 एक दोस्त को  भी कहता हूँ एक ज़िंदगी मिली है उसमे कितने स्यापे है। और मैं और वो बस अपना ब्रह्म वाक्य कहते है :
देखते है क्या होता है। 




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