सही तो है

किसी रोज़ एक लड़की देखी ,
उसने कहा देखो ये मेरी शक्ल हैं 
उसकी शक्ल में थी कई क्रन्तिकारी प्रतिलिपियाँ 
फिर जैसे जैसे मैं देखने लगा उसे रोज़ ,
उसमें नजर आया उसके पिता,भाई  का चेहरा ,
उसकी शादी की परायी उमंगें ,
फिर एक दिन उसने कहा मैं अपना मकान चुनुँगी,
मकान लेने मेरे पिता मेरी मदद करेंगे ,
अब वो  रहती हैं उस मकान में बिलकुल उसी मकान में ,
बिलकुल सब  लड़कियों  की तरह खुश हैं वो आज....... 

संदीप विहान





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